चमोली जिले के नंदानगर क्षेत्र में बुधवार रात बादल फटने और तेज बारिश ने एक भयानक तबाही मचा दी। देर रात करीब एक बजे अचानक हुई तेज गर्जना और बिजली चमक के बीच पहाड़ी से आया मलबा और पानी का सैलाब गांवों में घुस गया। लोग गहरी नींद में थे और पलक झपकते ही कई मकान मलबे में दब गए।
फाली लगा कुंतरी, सैंती लगा कुंतरी, धुर्मा और मोख गांवों में 45 भवन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। 15 गोशालाओं को भी नुकसान पहुंचा और 28 पशु लापता हो गए। चार पशुओं की मौत हो चुकी है। स्थानीय लोगों ने अपने परिवारों को बचाने की जद्दोजहद में रातभर संघर्ष किया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि मलबा इतनी तेजी से आया कि संभलने का मौका ही नहीं मिला। दिलबर सिंह रावत की पत्नी देवेश्वरी देवी मलबे में दब गई, जबकि वह उसे बचाने दौड़े थे।
राहत और बचाव कार्यों में एनडीआरएफ के 27, एसडीआरएफ के 22, आईटीबीपी के 28, पुलिस के 20 और डीडीआरएफ के सात जवान लगे हुए हैं। दस घायलों को हेलिकॉप्टर से हायर सेंटर भेजा गया और दो का नंदानगर में उपचार जारी है। प्रभावित क्षेत्रों में राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जहां रहने और खाने की व्यवस्था की गई है।
जिलाधिकारी डॉ. संदीप तिवारी ने बृहस्पतिवार को करीब 16 किलोमीटर पैदल चलकर नंदानगर के आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया। उन्होंने आपदा प्रबंधन टीम के साथ प्रभावितों से मुलाकात कर राहत कार्यों का जायजा लिया। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार नंदानगर में ही कैंप कर राहत और बचाव कार्यों की निगरानी कर रहे हैं।
इस आपदा ने केवल भवन और संपत्ति ही नहीं छीनी, बल्कि लोगों की नींद, सुरक्षा और जीवन को भी खतरे में डाल दिया। स्थानीय निवासी मलबे की तेज़ी और पानी की उच्च गति को देखकर सकते में रह गए। राहत कार्यों में जुटी टीमों ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया और राहत शिविरों में खाने-पीने और प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था सुनिश्चित की।
चमोली में यह आपदा एक बार फिर यह याद दिला रही है कि पहाड़ी इलाके में प्राकृतिक आपदाओं का खतरा हमेशा बना रहता है। प्रशासन और बचाव दल की त्वरित कार्रवाई से कई जानें बची हैं, लेकिन मलबे और पानी में बह गए घर, गोशालाएं और परिवारों के सपने अब तक बहते दिखाई दे रहे हैं।
