चमोली जिले के नंदानगर क्षेत्र में बुधवार रात बादल फटने से मचा कहर लोगों के दिलों को झकझोर देने वाला है। सेरा गांव में जिस घर में पांच दिन बाद बेटी की शादी की शहनाई गूंजनी थी, वहां अब सिर्फ मलबा और मातम बचा है। बिनसर पहाड़ी पर हुई अतिवृष्टि और धुर्मा क्षेत्र में बादल फटने से मोक्ष गदेरे का जलस्तर अचानक बढ़ गया और देखते ही देखते कई परिवारों के सपने बहा ले गया।
आपदा में 10 लोग लापता हुए, जिनमें से दो के शव बरामद हो चुके हैं, जबकि सात की तलाश जारी है। राहत दलों ने 16 घंटे की मशक्कत के बाद एक व्यक्ति को जिंदा मलबे से बाहर निकाला। लेकिन इस बीच सात परिवारों के मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गए।
सेरा गांव निवासी महिपाल सिंह गुसांई की बेटी नीमा की शादी 23 सितंबर को होनी तय थी। परिवार ने महीनों की तैयारी कर रखी थी—मकान का रंग-रोगन, जेवरात, कपड़े, अनाज सब कुछ तैयार था। लेकिन आपदा ने सब कुछ छीन लिया। महिपाल की पत्नी देवेश्वरी देवी ने रोते हुए बताया—“हम लोग समय रहते सड़क पर आ गए थे, लेकिन हमारी आंखों के सामने मकान मलबे और पानी में बह गया। जिस जगह घर था, अब वहां सिर्फ पत्थर और रेत का ढेर है।”
गांव के अन्य परिवार भी इस तबाही से उजड़ गए। माधो सिंह, कुंवर सिंह, विनोद सिंह, राजेंद्र सिंह, बिजमा देवी और अवतार सिंह के मकान भी तेज बहाव में समा गए। रातभर मोख सड़क पर डरे-सहमे लोग अपनों और अपनी मेहनत की कमाई को बहते देखते रहे।
महिपाल सिंह ने कहा कि उनकी बेटी और बेटा उनके साथ गोपेश्वर में थे। उन्हें अगले दिन घर लौटना था, लेकिन किस्मत ने पहले ही सब छीन लिया। अब सबसे बड़ा सवाल है कि बेटी की शादी कैसे होगी।
स्थानीय लोग कहते हैं कि यह सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं की भी बड़ी परीक्षा है। गांव में मातम पसरा है, लेकिन लोग एक-दूसरे के दुख को बांटते हुए पीड़ित परिवारों का सहारा बनने की कोशिश कर रहे हैं।
यह त्रासदी एक बार फिर याद दिलाती है कि पहाड़ की जिंदगी कितनी कठिन है। जहां हर खुशी कभी भी पल भर में मातम में बदल सकती है। फिलहाल राहत और बचाव दल मलबा हटाने और लापता लोगों की खोज में जुटे हैं, लेकिन इस आपदा से प्रभावित परिवारों के लिए आने वाला हर दिन एक नई चुनौती लेकर आया है।
