
चमोली जिले के गोपेश्वर स्थित राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में एबीवीपी छात्रों का आंदोलन लगातार उग्र रूप लेता जा रहा है। बीते एक सप्ताह से आंदोलनरत छात्र मंगलवार से अनशन पर भी बैठे हैं। बुधवार को छात्रों का गुस्सा अचानक भड़क उठा और कई छात्र पेट्रोल की बोतल लेकर कॉलेज की छत पर चढ़ गए। इस दौरान उन्होंने प्रदेश सरकार और शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।
कॉलेज परिसर में अचानक हुई इस घटना से अफरा-तफरी का माहौल बन गया। छात्र अपनी मांगों को लेकर अड़े रहे और प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए आत्मदाह तक की चेतावनी देने लगे। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद पुलिस ने गेट खोलकर छत पर चढ़े छात्रों को किसी तरह नीचे उतारा। इसके बाद छात्र जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे और अपनी समस्याएं सामने रखीं। जिलाधिकारी ने छात्रों को आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखा जाएगा और समाधान की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।
छात्रों का कहना है कि बीते लंबे समय से कॉलेज में शैक्षिक और बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी बनी हुई है। परीक्षा परिणाम में लगातार त्रुटियाँ सामने आ रही हैं, जिससे छात्र-छात्राओं का भविष्य प्रभावित हो रहा है। यही नहीं, समर्थ पोर्टल का लॉगइन और आईडी कॉलेज प्रशासन को न मिलने से भी छात्रों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
छात्रों की प्रमुख मांगों में परीक्षा परिणाम की त्रुटियों को तुरंत ठीक करना, पीजी कॉलेज को श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय का कैंपस घोषित कर यहाँ निदेशक की नियुक्ति करना, परीक्षा सुधार के लिए हेल्प डेस्क की स्थापना करना और सभी संकायों में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करना शामिल है। इसके अलावा छात्रों ने कॉलेज में छात्र-छात्राओं के लिए उचित शौचालय, छात्रावासों के सुधार, रिक्त पदों पर शिक्षकों व सफाई कर्मियों की नियुक्ति, गृह विज्ञान और संगीत की कक्षाओं की शुरुआत तथा छात्राओं के लिए कॉमन रूम की व्यवस्था जैसी मांगें भी रखी हैं।
कॉलेज प्रशासन और सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए एबीवीपी कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो आंदोलन और अधिक उग्र रूप लेगा। अनशन पर बैठे छात्र पवन कुमार ने दूसरे दिन भी अपना उपवास जारी रखा, जिससे छात्रों के आंदोलन को और मजबूती मिल रही है।
गोपेश्वर कॉलेज का यह आंदोलन अब जिले की राजनीति और प्रशासनिक गलियारों में भी चर्चा का विषय बन गया है। छात्र नेताओं का कहना है कि उनकी लड़ाई केवल अपने अधिकारों के लिए नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए भी है। यदि सरकार ने समय रहते उनकी मांगों पर सकारात्मक कदम नहीं उठाए, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।