चेंबर निर्माण
उत्तराखंड में शनिवार को अधिवक्ताओं की ओर से चेंबर निर्माण की मांग को लेकर राज्यभर में न्यायिक कामकाज ठप रहा। बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड की अपील पर आयोजित इस एकदिवसीय हड़ताल में सभी ज़िलों के अधिवक्ताओं ने भाग लिया। देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर, नैनीताल, पिथौरागढ़, चमोली, टनकपुर सहित लगभग सभी न्यायालय परिसरों में अधिवक्ता काम से दूर रहे, जिसके चलते अदालतों में न तो सुनवाई हो सकी और न ही संबंधित दफ्तरी प्रक्रियाएं आगे बढ़ पाईं।
देहरादून बार एसोसिएशन की मुख्य मांग है कि अधिवक्ताओं के लिए चेंबर निर्माण हेतु सिविल कैंपस, पुराने जिला जज न्यायालय परिसर की भूमि आवंटित की जाए। अधिवक्ताओं का कहना है कि वर्षों से चेंबर की सुविधा न होने के कारण उन्हें गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। न तो बैठने की उचित जगह है और न ही जरूरी दस्तावेज़ों तथा अभिलेखों को सुरक्षित रखने की व्यवस्था। इस मुद्दे को लेकर एसोसिएशन लंबे समय से सरकार और प्रशासन से आग्रह करता आ रहा है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है।
इसी मांग को प्रभावी रूप से उठाने के लिए शुक्रवार को देहरादून बार एसोसिएशन के नेतृत्व में अधिवक्ताओं ने हरिद्वार रोड पर करीब साढ़े तीन घंटे तक चक्का जाम कर प्रदर्शन किया। इस रोष प्रदर्शन का नेतृत्व बार एसोसिएशन देहरादून के अध्यक्ष मनमोहन कंडवाल और सचिव राजबीर सिंह बिष्ट ने किया। अधिवक्ताओं का कहना है कि यदि जल्द ही भूमि आवंटन की दिशा में सरकार ठोस कदम नहीं उठाती, तो भविष्य में आंदोलन और तेज हो सकता है।
हड़ताल का व्यापक असर अदालतों और उनसे जुड़ी सेवाओं पर साफ दिखाई दिया। न्यायालय परिसर में बस्ते खोलने वाले कर्मचारी, टाइपिंग सेवाएं, स्टाम्प वेंडर, नोटरी कार्य, हलफनामा तैयार करने जैसी महत्वपूर्ण सुविधाएं भी सुबह से बंद रहीं। वादकारियों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ा, क्योंकि कई जरूरी मामलों की सुनवाई अगले कार्यदिवस तक के लिए टाल दी गई।
बार काउंसिल ने साफ संकेत दिया है कि यह हड़ताल सरकार को चेतावनी देने के लिए है। यदि उनकी मांगों पर ठोस पहल नहीं होती, तो राज्यभर में बड़े आंदोलन की तैयारी की जा सकती है। अधिवक्ताओं का कहना है कि चेंबर निर्माण कोई विशेष सुविधा नहीं, बल्कि कामकाज का मूलभूत आधार है, और इसे लेकर सरकार को संवेदनशील रुख अपनाना चाहिए।
