ऋषिकेश(देहरादून ): ऋषिकेश में वन भूमि के सर्वे को लेकर विरोध प्रदर्शन शनिवार और रविवार को उग्र हो गया। शनिवार को जहां प्रदर्शनकारियों ने नेशनल हाईवे जाम किया वहीं रविवार को मनसा देवी रेलवे लाइन पर बैठकर ट्रेनों की आवाजाही रोक दी। हालात बिगड़ने पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव हुआ, जिसमें पथराव की घटनाएं भी सामने आईं। पुलिस ने दो दिनों की घटनाओं को लेकर तीन अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए हैं।
हाईवे जाम और पहला मुकदमा
रायवाला में तैनात एसएसआई मनवर सिंह नेगी की तहरीर पर पहला मुकदमा दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत शनिवार को वन भूमि की नापजोख के लिए टीम मालवीय नगर पहुंची थी। इसी दौरान अमितग्राम, श्यामपुर बाईपास पर दोपहर 1:30 बजे से शाम 4 बजे तक नेशनल हाईवे जाम रहा।
इस मामले में मोहन सिंह असवाल, वीरेंद्र रमोला, विनोद नाथ, हिमांशु पंवार, लालमणि रतूड़ी, निर्मला उनियाल, ऊषा चौहान और सचिन रावत को नामजद करते हुए 218 अज्ञात महिला-पुरुषों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
महिला रेंजर से छेड़छाड़ का आरोप
दूसरे मुकदमे में वन विभाग की एक महिला रेंजर ने आरोप लगाया है कि शनिवार को गुमानीवाला क्षेत्र में सर्वे के दौरान उनके साथ छेड़छाड़, धक्का-मुक्की और मारपीट की गई। रेंजर के अनुसार अज्ञात लोगों ने न सिर्फ सरकारी कार्य में बाधा डाली, बल्कि गाली-गलौज करते हुए वर्दी तक पकड़ ली। कोतवाली पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उनकी पहचान के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
रेलवे लाइन जाम और तीसरा मुकदमा
रविवार को मनसा देवी रेलवे फाटक पर रेलवे ट्रैक जाम करने, राष्ट्रीय राजमार्ग बाधित करने और पुलिस पर पथराव करने के मामले में तीसरा मुकदमा दर्ज हुआ है। कोतवाली ऋषिकेश के निरीक्षक कैलाश चंद्र भट्ट की शिकायत पर सीताराम कोटी, लालमणि रतूड़ी, योगेश डिमरी, विकास सेमवाल, जहांगीर आलम, गंगा प्रसाद, राजेंद्र गैरोला और पूजा पोखरियाल समेत 8–10 अज्ञात लोगों के खिलाफ बलवा और सरकारी कार्य में बाधा डालने जैसे आरोप लगाए गए हैं।
छह ट्रेनें लेट, हजारों यात्री परेशान
रेलवे लाइन ब्लॉक होने से छह ट्रेनें प्रभावित हुईं, जिससे हजारों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। पुलिस और प्रशासन ने लोगों को शांतिपूर्वक समझाने का प्रयास किया, लेकिन आरोप है कि भीड़ ने पथराव कर दिया, जिसमें कई पुलिसकर्मी और अन्य लोग घायल हुए। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एसएसपी देहरादून मौके पर पहुंचे, अधिकारियों से जानकारी ली और अतिरिक्त फोर्स बुलाकर क्षेत्र में फ्लैग मार्च किया। देर शाम यातायात को सुचारु कराया गया।
लाठीचार्ज से पुलिस का इनकार
पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि लाठीचार्ज नहीं किया गया। सोशल मीडिया पर लाठीचार्ज से जुड़ी खबरों को भ्रामक बताते हुए ऐसे दुष्प्रचार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। एसएसपी देहरादून ने जनता से अपील की है कि यह कार्रवाई उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत की जा रही है। जांच में सामने आया है कि कुछ लोगों ने सरकारी वन भूमि को निजी बताकर आम लोगों को बेच दिया। ऐसे मामलों में पीड़ित पुलिस से शिकायत कर सकते हैं। दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

