देहरादून – दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे के जल्द उद्घाटन की तैयारियों के बीच राजधानी देहरादून में यातायात संकट के और गहराने के संकेत मिल रहे हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी द्वारा 10–15 दिनों में एक्सप्रेसवे शुरू करने के संकेत के बाद यह लगभग तय हो गया है कि दिल्ली से दून की दूरी ढाई घंटे में सिमट जाएगी।
हालांकि यह परियोजना वर्षों के इंतजार के बाद जनता को समर्पित होने जा रही है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि एक्सप्रेसवे शुरू होते ही दून और मसूरी की ओर वाहनों का दबाव करीब 25 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा, जिससे पहले से जाम से जूझ रही शहर की सड़कें पूरी तरह चरमरा सकती हैं।
रिंग रोड न बनने की चुकानी पड़ेगी कीमत
यातायात विशेषज्ञों के अनुसार यदि एक्सप्रेसवे के साथ ही आउटर रिंग रोड पर काम शुरू कर दिया गया होता, तो बाहरी वाहनों को शहर में प्रवेश किए बिना आगे निकलने का विकल्प मिल जाता। लेकिन अब स्थानीय और बाहरी वाहनों का दबाव एक साथ शहर की सड़कों पर पड़ेगा।
‘गेम चेंजर’ परियोजनाएं अभी फाइलों में
दून को जाम से राहत दिलाने वाली कई बड़ी योजनाएं अभी कागजों से बाहर नहीं आ सकी हैं—
मोहकमपुर आरओबी–आशारोड़ी एलिवेटेड रोड (12 किमी)
- लागत: लगभग ₹1500 करोड़
- टेंडर प्रक्रिया शुरू नहीं
- पूरा होने में कम से कम ढाई साल
रिस्पना–बिंदाल एलिवेटेड रोड (26 किमी)
- लागत: ₹6200 करोड़ से अधिक
- जमीन अधिग्रहण लंबित
- मसूरी जाने वाले वाहनों को शहर से बाहर निकालने की योजना
आशारोड़ी–झाझरा परियोजना
- वन भूमि और मुआवजा विवाद में उलझी
चौराहों पर क्षमता से 6 गुना तक दबाव
शहर के प्रमुख जंक्शन पहले ही अपनी डिजाइन क्षमता से कई गुना अधिक दबाव झेल रहे हैं—
| चौराहा | डिजाइन क्षमता (PCU) | वास्तविक दबाव (PCU) |
|---|---|---|
| घंटाघर | 3600 | 14282 |
| प्रिंस चौक | 2900 | 17090 |
| लालपुल | 2900 | 16664 |
| रिस्पना पुल | 2900 | 16453 |
| आईएसबीटी | 3600 | 9916 |
निजी वाहनों पर अत्यधिक निर्भरता
मास्टर प्लान 2041 के अनुसार देहरादून की आबादी 13 लाख से अधिक है और 85 प्रतिशत परिवार निजी वाहनों पर निर्भर हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक सार्वजनिक परिवहन को मजबूत और भरोसेमंद नहीं बनाया जाता, तब तक जाम से राहत संभव नहीं।

सड़क ढांचा बेहद कमजोर
- 43% सड़कें 12 मीटर से भी कम चौड़ी
- 65% सड़कों की चौड़ाई मानकों से कम
- अतिक्रमण, फुटपाथ और पार्किंग की भारी कमी
विशेषज्ञों की चेतावनी
एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष अनूप नौटियाल का कहना है कि “सरकार को बिना समय गंवाए सभी प्रस्तावित सड़क और यातायात परियोजनाओं पर गंभीरता से काम शुरू करना चाहिए।”
वहीं, उत्तराखंड इंजीनियर्स एंड आर्किटेक्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष डीएस राणा के अनुसार, “दून की 65 प्रतिशत सड़कों की चौड़ाई मानकों से कम है, जो भविष्य के लिए गंभीर चेतावनी है।
