हरिद्वार – अखिल भारतीय बाघ गणना–2026 के तहत 15 दिसंबर से राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस गणना के माध्यम से न केवल बाघों की संख्या का आकलन किया जाएगा, बल्कि गुलदार, भालू और हाथी जैसे प्रमुख वन्यजीवों की मौजूदगी के साथ रिजर्व के संपूर्ण पारितंत्र की सेहत का भी वैज्ञानिक मूल्यांकन किया जाएगा।
गणना के प्रथम चरण (फेज-1) में फील्ड सर्वे किया जा रहा है, जिसके लिए वन कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। यह गणना वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त वैज्ञानिक पद्धति के तहत की जा रही है, जिसकी एक निर्धारित और मानकीकृत मेथडोलॉजी फ्रेमवर्क है। इसी प्रणाली के अनुसार यह प्रक्रिया चार चरणों में पूरी की जाएगी।
राजाजी टाइगर रिजर्व के वन्यजीव प्रतिपालक अजय लिंगवाल ने बताया कि फेज-1 के लिए वन रक्षकों और वन दारोगाओं को वैज्ञानिक, तकनीकी और व्यावहारिक स्तर पर प्रशिक्षित किया गया है। प्रशिक्षण के दौरान बाघों के पगचिह्न, मल, खरोंच के निशान, शिकार अवशेष और अन्य आवासीय संकेतों की पहचान के साथ-साथ सटीक डेटा संकलन की विधियां सिखाई गई हैं।

उन्होंने बताया कि इस बार बाघ गणना को पूरी तरह डिजिटल और पेपरलेस बनाया गया है। इसके लिए एम-स्ट्राइप्स इकोलॉजिकल ऐप का उपयोग किया जा रहा है, जिसके माध्यम से मोबाइल आधारित डेटा संग्रह किया जाएगा। ऐप में जीपीएस आधारित ट्रैकिंग, लोकेशन टैगिंग और रियल टाइम डेटा एंट्री की सुविधाएं उपलब्ध हैं।
वन विभाग के अनुसार, इस तकनीकी प्रणाली के उपयोग को लेकर फील्ड स्टाफ को विस्तृत प्रशिक्षण दिया जा चुका है, ताकि एकत्र किए गए आंकड़ों की सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सके।
