टिहरी गढ़वाल(samvaad365): हिमालयी क्षेत्रों में कठिन भौगोलिक परिस्थितियाँ हमेशा से ग्रामीण आजीविका के लिए चुनौतियाँ पेश करती रही हैं। सीमित संसाधन, कठोर जलवायु और दूरस्थ स्थानों के कारण यहाँ के लोगों का जीवन संघर्षपूर्ण रहा है। लेकिन समय के साथ आधुनिक कृषि और बागवानी ने पहाड़ों की अर्थव्यवस्था में नई उम्मीदें जगाई हैं। जैसे हिमाचल में सेब उत्पादकता ने किसानों का जीवन बदला, उसी तरह अब उत्तराखंड में टिहरी गढ़वाल का दूरस्थ गाँव गंगी विकास की इसी राह पर आगे बढ़ता दिखाई दे रहा है।

गंगी गाँव, जो लंबे समय से बिजली, परिवहन और आजीविका संसाधनों की कमी से जूझता रहा….अब एक बड़े परिवर्तन का साक्षी बन रहा है। यह बदलाव संभव हुआ The Hans Foundation के करुणामयी प्रयासों से जिसकी प्रेरणा स्रोत हैं परम पूज्य श्री भोले जी महाराज और परम पूज्या माता मंगला। संस्था लंबे समय से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका पर कार्य कर रही है….और इसी कड़ी में गंगी में सेब बागवानी परियोजना की शुरुआत की गई।
9,500 से अधिक सेब पौधे—गंगी में विकास का नया अध्याय
हंस फाउंडेशन के प्रेरणास्रोत भोले जी महाराज और माता मंगला की इस परियोजना के तहत गाँव में अब तक 9,500 से अधिक सेब के पौधे रोपे गए हैं। यह मात्र एक पौधारोपण अभियान नहीं…बल्कि एक संपूर्ण आजीविका मॉडल है…..जिसके माध्यम से गाँव के किसानों, युवाओं और विशेषकर महिलाओं को आधुनिक बागवानी तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

बागवानी विशेषज्ञ मनीराज धांगल की टीम वर्ष 2022 में गंगी पहुँची और सबसे पहले वहाँ की मिट्टी और जलवायु का वैज्ञानिक परीक्षण किया। रिपोर्ट में पता चला कि गंगी की मिट्टी और तापमान सेब की उन्नत किस्मों के लिए अत्यंत उपयुक्त है। इसी आधार पर बड़े पैमाने पर बागवानी परियोजना शुरू की गई।
पहली बार पहुँची बिजली — विकास को मिली नई गति
सामाजिक कार्यकर्ता केदार बर्थवाल बताते हैं कि स्वतंत्रता के 75 साल बाद—सिर्फ दो महीने पहले—गंगी गाँव में पहली बार बिजली पहुँची। इससे न सिर्फ जीवन में नई रोशनी आई, बल्कि बागवानी परियोजनाओं को भी गति मिली। उन्होंने ग्रामीणों के साथ मिलकर हंस फाउंडेशन की टीम को सहयोग दिया और लोगों को विकास के महत्व के प्रति जागरूक किया।
ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति में सुधार की नई उम्मीद
स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि परम पूज्य भोले जी महाराज और माता श्री मंगला जी के मार्गदर्शन ने गाँव की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में बड़ा योगदान दिया है। सेब बागवानी के माध्यम से ग्रामीणों को—
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प्रशिक्षण
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पौध प्रबंधन जानकारी
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खाद–सिंचाई तकनीक
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रोग नियंत्रण उपाय
जैसी आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं। इससे गाँव में रोजगार और स्वरोजगार दोनों बढ़ रहे हैं।

ग्राम प्रधान ने जताया आभार
गंगी की ग्राम प्रधान मंगूरी देवी ने कहा कि हंस फाउंडेशन ने गाँव में स्वरोजगार के नए दरवाजे खोले हैं। ग्रामीण अब कृषि और बागवानी में सक्रियता से जुड़ रहे हैं और आर्थिक रूप से मजबूत बन रहे हैं।
गंगी—अब आत्मनिर्भरता का मॉडल बनने की ओर
गंगी में शुरू हुई यह सेब बागवानी परियोजना अब सिर्फ एक विकास कार्यक्रम नहीं रह गई है, बल्कि आत्मनिर्भरता और उम्मीद का प्रतीक बन चुकी है। आने वाले वर्षों में यह न सिर्फ गाँव की आर्थिक स्थिति को पूरी तरह बदल सकती है, बल्कि उत्तराखंड के अन्य दुर्गम क्षेत्रों के लिए भी एक प्रेरणादायक मॉडल बनेगी।
