बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय अदालत ने एक ऐतिहासिक और कड़े फैसले में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने जुलाई 2024 में हुए विद्रोह के दौरान निहत्थे छात्रों और नागरिकों पर गोली चलवाने के आरोपों को साबित माना।
इस फैसले में हसीना के दो करीबी सहयोगी, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जामान खान कमाल और पूर्व IGP चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को भी दोषी करार देते हुए मौत की सजा दी गई है।
मानवता के खिलाफ अपराध:
कोर्ट के 453 पन्नों के फैसले में कहा गया है कि शेख हसीना जनवरी 2024 के बाद तानाशाही की राह पर तेजी से बढ़ रही थीं। चुनावों में विपक्ष को दबाने और छात्र आंदोलनों को हिंसा से कुचलने जैसे आरोप उनके खिलाफ साबित हुए। कोर्ट ने इसे “मानवता के खिलाफ अपराध” करार दिया।
शेख हसीना की गिरफ्तारी कैसे होगी:
शेख हसीना वर्तमान में भारत में हैं, ऐसे में बांग्लादेश अदालत की सजा पर अमल कैसे होगा, यह सवाल खड़ा होता है। कानूनी प्रक्रिया के तहत बांग्लादेश सरकार इंटरपोल के जरिए गिरफ्तारी की कार्रवाई शुरू करेगी और रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने का अनुरोध करेगी।
भारत की भूमिका अहम:
चूंकि शेख हसीना भारत में हैं, इंटरपोल नोटिस मिलने के बाद बांग्लादेश भारत से औपचारिक रूप से प्रत्यर्पण की मांग करेगा। अब भारत तय करेगा कि वह इस नोटिस का पालन करता है या नहीं। अगर भारत सहयोग से इंकार करता है, तो मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और जटिल हो सकता है और बांग्लादेश इसे संयुक्त राष्ट्र में उठाकर दबाव बना सकता है।
फैसले के बाद दोनों देशों के बीच भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने की संभावना है, और इस मुद्दे पर अभी भारत की आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
