देहरादून (उत्तराखंड): थाईलैंड में आयोजित वर्ल्ड जुजित्सु चैंपियनशिप 2025 में उत्तराखंड की बेटी प्रज्ञा जोशी ने देश का नाम गर्व से ऊँचा किया। प्रज्ञा ने कांस्य पदक जीतकर भारत और उत्तराखंड का परचम लहराया। देहरादून में उनका भव्य स्वागत किया गया।
उत्तराखंड के रानीखेत में जन्मी प्रज्ञा जोशी अब ऋषिकेश में अपनी अकादमी चला रही हैं। खेल के प्रति उनके जुनून ने उन्हें सरकारी नौकरी छोड़ने तक मजबूर किया। यही समर्पण उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता दिला रहा है। प्रज्ञा ने बताया कि वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतना उनके 20 साल के कठिन परिश्रम का नतीजा है। उनका लक्ष्य गोल्ड मेडल था, लेकिन फाइनल में वियतनाम की खिलाड़ी से मुकाबले के दौरान आंख पर चोट लगने की वजह से कुछ पॉइंट्स लूज हो गए। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और भारत का नाम 77 देशों के बीच रोशन किया।
प्रज्ञा ने कराटे से अपने खेल की शुरुआत की। 10 बार स्टेट चैंपियन और कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीतने के बाद उन्होंने उत्तराखंड पुलिस में नौकरी की। पुलिस में रहते हुए उन्हें विशेष सेवा मेडल से भी सम्मानित किया गया। लेकिन अपने खेल के प्रति प्रतिबद्धता के कारण उन्होंने पुलिस की नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। आज प्रज्ञा महिलाओं को सेल्फ डिफेंस और कॉम्बैट गेम्स सिखाती हैं। उन्होंने अपनी अकादमी में ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों की लड़कियों को निशुल्क प्रशिक्षण देना शुरू किया। उनका मानना है कि लड़कियों को खुद की सुरक्षा के लिए मजबूत बनाना बेहद जरूरी है। प्रज्ञा ने याद किया कि उन्होंने अपने पिता से पहली मार्शल आर्ट ड्रेस पाई थी। उस दिन से ही उन्होंने खेल के प्रति जुनून और लगन दिखाई, जिससे उनके कोच ने उनमें भविष्य देखा। आज उनका सपना लड़कियों को सशक्त बनाना और अपने ब्रॉन्ज मेडल को भविष्य में सिल्वर और गोल्ड में बदलना है।
