 
                ऊधम सिंह नगर में मंत्री रेखा आर्या से रोजगार को लेकर सवाल पूछना दो पीआरडी जवानों को भारी पड़ गया। मामला 5 अक्तूबर का है, जब महिला एवं बाल विकास, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता मामले, और खेल एवं युवा कल्याण मंत्री रेखा आर्या जिले के फूलसुंगा और ट्रांजिट कैंप में बन रहे 125 करोड़ रुपये के कामकाजी महिला छात्रावास का निरीक्षण करने पहुंची थीं।
निरीक्षण के दौरान ट्रांजिट कैंप में तैनात पीआरडी जवान बाबू खान और वीरेंद्र ने मंत्री से सवाल किया कि “मैडम, आपने पीआरडी जवानों को 300 दिन रोजगार देने की बात कही थी, यह रोजगार कब से मिलेगा?” मंत्री ने सवाल का कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन उनके जाने के कुछ घंटे बाद ही जिला युवा कल्याण विभाग ने दोनों जवानों को ड्यूटी से हटा दिया। अगले दिन जब दोनों ड्यूटी पर पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि विभाग का आदेश आ चुका है और उन्हें सेवा से अलग किया गया है। बाबू खान का कहना है कि दीपावली से ठीक पहले यह कार्रवाई हुई है, जिससे घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है और परिवार तनाव में है।
जवानों का कहना है कि वे 620 रुपये प्रतिदिन के मानदेय पर काम करते हैं और साल में कभी दो महीने तो कभी छह महीने की ड्यूटी मिलती है। कुछ लोगों को “ऊंची पकड़” के कारण लगातार ड्यूटी मिलती रहती है, जबकि कई महीनों से बेरोजगार जवान घर पर बैठे हैं।
बाबू खान और वीरेंद्र दोनों की ट्रांजिट कैंप में पोस्टिंग थी और वे मंत्री की गाड़ी को स्कॉट भी कर रहे थे। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि सिर्फ सवाल पूछने पर विभाग ने इतनी बड़ी कार्रवाई क्यों की। गौरतलब है कि वर्ष 2022 में रेखा आर्या ने पीआरडी जवानों को 300 दिन का रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन अब तक यह घोषणा धरातल पर नहीं उतर सकी है।
वहीं जिला युवा कल्याण अधिकारी बी.एस. रावत ने कहा कि दोनों जवानों ने वर्दी में रहते हुए प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया था, इसलिए उन्हें ड्यूटी से हटाया गया है। फिलहाल दोनों जवान रोजगार से वंचित हैं और उन्होंने इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार की मांग की है।

 
                 
                