उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने चमोली जिले की थराली आपदा के प्रभावित लोगों को दी गई राहत के बारे में राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांग ली है। यह आदेश एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें 22 अगस्त को आई आपदा के बाद स्थानीय लोगों को हो रही परेशानियों का मामला उठाया गया।
आपदा पिंडर और प्राणमती नदियों के उफान के कारण हुई थी, जिससे थराली तहसील में व्यापक नुकसान हुआ। याचिकाकर्ता, स्थानीय अधिवक्ता सिद्धार्थ नेगी ने बताया कि आपदा के दौरान एक लड़की मलबे में दबकर मृत हो गई और एक व्यक्ति लापता है। स्कूल और अस्पतालों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया, लेकिन सड़कें अभी भी क्षतिग्रस्त हैं, जिससे आवश्यक सामान की आपूर्ति प्रभावित हो रही है।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने राज्य सरकार से प्रभावित परिवारों को दी गई सहायता की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा। अदालत ने जोर दिया कि स्थानीय लोगों तक मूलभूत सुविधाएँ समय पर पहुँचाई जाएँ।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने विशेष रूप से स्कूल जाने वाले बच्चों और बुजुर्ग मरीजों की समस्याओं पर ध्यान देने का आग्रह किया, जिन्हें रोजमर्रा की गतिविधियों में कठिनाई हो रही है। अदालत ने सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए प्रभावितों की मदद सुनिश्चित करने और राहत कार्य में त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
अदालत के आदेशों के बाद राज्य सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह थराली के निवासियों को राहत और पुनर्वास के उपायों सहित सड़क और अन्य बुनियादी सुविधाओं की स्थिति की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
हाईकोर्ट की यह कार्रवाई इस बात पर प्रकाश डालती है कि प्राकृतिक आपदाओं के समय प्रभावी प्रबंधन और राहत उपायों में पारदर्शिता व जवाबदेही आवश्यक है। थराली के लोग और स्थानीय प्रशासन अब इस दिशा में त्वरित कार्यवाही की प्रतीक्षा कर रहे हैं ताकि क्षेत्र में सामान्य जीवन जल्द बहाल हो सके।
