उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने के मामले पर एक बार फिर राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
रविवार को पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने इस मुद्दे को उठाते हुए गढ़वाल आयुक्त की जांच रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि सोने के मामले में जो सवाल उन्होंने पहले खड़े किए थे, उनका जवाब जांच रिपोर्ट में नहीं मिला। आरोप लगाया कि यह जांच सिर्फ सरकार को बचाने के लिए की गई है। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि समय आने पर कांग्रेस इस मामले का पूरा सच सामने लाएगी और इसमें शामिल लोगों को बेनकाब करेगी।
गणेश गोदियाल ने यह भी कहा कि जांच के दौरान उन्हें शामिल तक नहीं किया गया, जबकि आरोप उन्होंने ही लगाए थे। इससे साफ है कि रिपोर्ट केवल औपचारिकता निभाने के लिए तैयार की गई है।
वहीं, भाजपा की ओर से बीकेटीसी (बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति) के पूर्व अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष के आरोपों के बाद उन्होंने स्वयं सरकार से मामले की जांच की मांग की थी। सरकार ने गढ़वाल आयुक्त को जांच सौंपी और उन्होंने पूरी निष्पक्षता से जांच की।
अजेंद्र अजय ने स्पष्ट किया कि गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने में बीकेटीसी की कोई भूमिका नहीं है। यह निर्णय एक दानदाता के आग्रह पर लिया गया था, जिसने शासन को पत्र लिखकर यह मांग की थी। एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) की रिपोर्ट आने के बाद सरकार ने स्वर्ण मंडन की अनुमति दी थी।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल केवल सनसनी फैलाने का काम कर रहे हैं। यदि उनके पास इस मामले में ठोस सबूत हैं तो उन्हें सक्षम अथॉरिटी या न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए था। लेकिन आरोप लगाकर पीछे हट जाना उनकी राजनीतिक मंशा को उजागर करता है।
इस पूरे विवाद ने केदारनाथ धाम को एक बार फिर राजनीतिक बहस के केंद्र में ला खड़ा किया है। जहां एक ओर कांग्रेस इसे सरकार की नाकामी बता रही है, वहीं भाजपा का कहना है कि विपक्ष केवल धार्मिक आस्था से जुड़े मुद्दे पर अनावश्यक विवाद खड़ा कर रहा है।
