उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदानगर क्षेत्र के कुंतरी लगा फाली गांव में अचानक आए बादल फटने और मलबे की तबाही ने कई परिवारों को उजाड़ दिया। सबसे दर्दनाक मंजर तब सामने आया जब कुंवर सिंह का परिवार आपदा की चपेट में आया। मलबे से कुंवर सिंह की पत्नी और उनके जुड़वा बच्चों के शव निकाले गए। दोनों बच्चे अपनी मां की छाती से चिपके हुए थे। इस दृश्य ने पूरे गांव को झकझोर दिया और हर कोई आंसुओं के साथ इस हादसे को देखकर टूट गया।
कुंवर सिंह को 16 घंटे तक मलबे में दबा रहने के बाद सुरक्षित बाहर निकाला गया। लेकिन इस लंबी घड़ी के बावजूद उनके परिवार को बचाया नहीं जा सका। पिता की आंखों में निराशा और दर्द साफ देखा जा सकता था। परिवार का एक अन्य बेटा दूसरे शहर में रहता है, जिससे यह त्रासदी और भी गहरा कर गई।
स्थानीय प्रशासन और रेस्क्यू टीमों ने प्रभावित क्षेत्रों में लगातार राहत और बचाव कार्य जारी रखा। मलबे में दबे लोगों की तलाश के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय लोग दिन-रात जुटे रहे। अधिकारियों ने बताया कि आपदा के कारण गांव में कई मकान, खेत और बुनियादी संरचनाएं बह गई हैं। राहत कार्यों में खाद्य सामग्री, पानी और प्राथमिक चिकित्सा की आपूर्ति की जा रही है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि पीड़ित परिवारों के लिए अस्थायी आवास और वित्तीय सहायता तुरंत उपलब्ध कराई जाए। सामाजिक और स्थानीय संगठनों ने भी प्रभावित परिवारों की मदद में हाथ बढ़ाया है।
चमोली आपदा ने एक बार फिर यह याद दिला दिया है कि प्राकृतिक आपदा किसी को भी नहीं छोड़ती। कुंवर सिंह का परिवार इस त्रासदी का उदाहरण बन गया, जिसमें पिता जिंदा तो बच गए, लेकिन मां और बच्चों को खोकर उन्होंने सब कुछ खो दिया। राहत और पुनर्वास कार्य इस कठिन समय में प्राथमिकता बन चुके हैं।
