देहरादून। दून घाटी में आई विनाशकारी आपदा से हालात लगातार गंभीर बने हुए हैं। शुक्रवार को तीन और शव मिलने के बाद मृतकों की संख्या 30 तक पहुँच गई है, जबकि 10 लोग अब भी लापता हैं। राहत और बचाव कार्य एसडीआरएफ व एनडीआरएफ की टीमों की देखरेख में जारी है।
नवीनतम जानकारी के अनुसार चौथे दिन मजाडा क्षेत्र से झारखंड निवासी विरेंद्र सिंह का शव बरामद किया गया। वहीं, मसांदावाला कैंट से लापता प्रीतम सिंह का शव सहारनपुर क्षेत्र में और पुष्पेंद्र का शव यमुनानगर (हरियाणा) से मिला। प्रशासन का कहना है कि कई शव यमुना में बहकर दूर तक पहुँच गए।
सबसे बड़ी त्रासदी परवल गांव में हुई जहां से लापता 14 लोगों में से 12 के शव मिल चुके हैं, जबकि दो की तलाश अभी भी जारी है। दूसरी बड़ी घटना फुलेत गांव की रही, जहां छह लोग बाढ़ में बह गए थे। इनमें से तीन के शव बरामद हो चुके हैं, जबकि तीन की खोज अभी भी की जा रही है।
गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने आपदाग्रस्त मालदेवता क्षेत्र का निरीक्षण कर राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी सविन बंसल ने भी पैदल दौरा कर प्रभावित इलाकों की स्थिति का जायजा लिया। प्रशासन ने टूटी सड़कों पर अस्थायी मार्ग और डायवर्जन व्यवस्था शुरू कर दी है। मसूरी मार्ग को शाम सात बजे से सुबह छह बजे तक के लिए बंद रखा गया है, जबकि प्रेमनगर टोंस नदी का पुल टूटने के बाद वैकल्पिक व्यवस्था लागू की गई है।
मालदेवता क्षेत्र में कच्ची सड़क बनाकर आपातकालीन वाहन और स्थानीय लोगों की आवाजाही शुरू कर दी गई है। वहीं, जिलाधिकारी ने लोनिवि को क्षतिग्रस्त भवनों की तकनीकी रिपोर्ट प्रस्तुत करने और टूटे रास्तों को जल्द दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं।
स्थानीय किसानों ने प्रशासन से कहा कि हल्दी, अदरक और मिर्च जैसी नकदी फसलें मंडी तक नहीं पहुँच पा रही हैं। इस पर जिलाधिकारी ने लघु सिंचाई विभाग को टूटी नहरों और गूलों की मरम्मत के आदेश दिए। प्रशासन का दावा है कि राहत और बचाव कार्य लगातार तेज किया जा रहा है, ताकि लापता लोगों की खोज जल्द से जल्द पूरी हो सके और प्रभावित परिवारों को सहायतामिल सके।
