
देहरादून में सहस्रधारा से पांच किलोमीटर ऊपर स्थित मजाडा, चामासारी और जमाडा गांवों में सोमवार रात बादल फटने से भारी तबाही मच गई। अचानक आई बारिश और मलबे के बहाव से कई घर हिल गए और लोग अपने परिवारों के साथ जान बचाने के लिए पहाड़ी रास्तों से सुरक्षित स्थानों की ओर भागे।
जमाडा गांव की सुषमा, निशा और पूजा ने बताया कि रात में बादल फटने के बाद उन्हें अपने पूरे परिवार सहित घर छोड़कर सुरक्षित स्थान तक पहुंचना पड़ा। उनके साथ नौ छोटे बच्चे भी थे जिन्हें पांच घंटे तक दूध नहीं मिल पाया। भूख और थकान से बच्चे रास्ते भर रोते और बिलखते रहे। महिलाएं कहती हैं कि रात भर बिजली कड़क रही थी और तेज बारिश हो रही थी, जिससे पहाड़ी रास्तों पर पत्थर गिरने का खतरा लगातार बना रहा।
ग्रामीणों ने बताया कि रात करीब एक बजे पहली बार बादल फटा और बाहर चीख-पुकार मची। थोड़ी देर बाद माहौल शांत हुआ, लेकिन तड़के करीब चार बजे फिर से घर हिलने लगे। इस दौरान लोग समझ गए कि अब कुछ भी सुरक्षित नहीं रहेगा। वे सभी अपने बच्चों को लेकर घर से बाहर निकल आए और टॉर्च जलाकर, सीटियां बजाकर गांव में एकत्रित हुए।
इन परिवारों के छोटे बच्चों के होंठ भूख से सूख गए और उनके चेहरे पर आंसुओं की लकीरें साफ दिखाई दे रही थीं। बच्चों के लिए यह अनुभव बेहद कठिन था क्योंकि इससे पहले उन्होंने कभी इतनी मुश्किल घड़ी नहीं देखी थी। पूजा ने बताया कि घर पूरी तरह से टूट चुका है और उन्हें नहीं पता कि अब आगे कहां जाएंगे। उनका भविष्य अनिश्चित है और सुरक्षा के पक्के इंतजाम के बिना बच्चों के साथ आगे बढ़ना चुनौतीपूर्ण है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि हालात बेहद खतरनाक हैं और प्रशासन को तुरंत राहत और बचाव कार्य तेज करने की जरूरत है। ग्रामीणों ने चेताया कि अगर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की गई तो वे सड़कों पर आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
सहस्रधारा क्षेत्र के इन गांवों में अचानक आई आफत ने एक बार फिर पहाड़ी इलाकों में प्राकृतिक आपदाओं के खतरों को सामने ला दिया है। प्रशासन और राहत टीमों को जल्दी से जल्दी प्रभावित परिवारों तक पहुंचना होगा ताकि बच्चों और परिवारों की जान सुरक्षित रहे। ग्रामीण फिलहाल सुरक्षित स्थानों पर एकत्र हैं, लेकिन उनके सामने आगे का मार्ग अनिश्चित और कठिनाइयों से भरा है।