
संसद भवन में मंगलवार को भारत के 15वें उपराष्ट्रपति पद के लिए मतदान हुआ। इस ऐतिहासिक अवसर पर सांसद हरिद्वार एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया। उन्होंने मतदान के बाद लोकतंत्र और उसकी मजबूती पर महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए।
त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि उपराष्ट्रपति पद का चुनाव केवल एक संवैधानिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत करने का संकल्प भी है। उन्होंने कहा, “मतदान लोकतंत्र की खूबसूरती है। हर निर्णय जनता की आकांक्षाओं और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी से तय होता है, यही लोकतंत्र की असली शक्ति है।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत का लोकतंत्र अपनी विविधताओं और सहभागिता के कारण दुनिया के लिए एक उदाहरण है। यहां प्रत्येक पद और जिम्मेदारी जनता की इच्छा से तय होती है। यही लोकतंत्र को विशिष्ट और सशक्त बनाता है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि देश का नया उपराष्ट्रपति अपने अनुभव, ज्ञान, दूरदृष्टि और राष्ट्रभावना से न केवल इस पद की गरिमा को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि लोकतंत्र की नींव को और मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे अवसर न केवल संविधान की मजबूती का प्रतीक होते हैं, बल्कि जनता और जनप्रतिनिधियों के बीच अटूट विश्वास का भी दर्पण हैं।
इस मौके पर उन्होंने जनता से अपील की कि लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रक्रियाओं में विश्वास बनाए रखें। रावत ने कहा कि जब तक हर नागरिक अपनी भूमिका को गंभीरता से निभाएगा, तब तक भारत का लोकतंत्र और मजबूत होता रहेगा।
संसद भवन में उपराष्ट्रपति चुनाव का माहौल गंभीर और ऐतिहासिक रहा। सांसदों ने पूरे उत्साह के साथ मतदान किया। अब सबकी निगाहें मतगणना पर टिकी हैं, जिसके परिणाम लोकतंत्र की इस प्रक्रिया को पूर्ण करेंगे।
त्रिवेन्द्र सिंह रावत के बयान ने एक बार फिर लोकतंत्र में जनभागीदारी के महत्व और इसकी मूल भावना को रेखांकित किया। उन्होंने साफ कहा कि लोकतंत्र सिर्फ सरकार बनाने का माध्यम नहीं, बल्कि जनता की आकांक्षाओं और सपनों को पूरा करने का जीवंत मंच है।