
7 सितंबर 2025 को साल का दूसरा चंद्रग्रहण लगेगा। इसी दिन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर पितृ पक्ष की शुरुआत भी होगी। चंद्रग्रहण के कारण पूरे राज्य में सूतक काल लागू रहेगा, जिसके चलते मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे और पूजा-पाठ या देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श करने से बचने की सलाह दी गई है।
सूचक काल रविवार दोपहर 12:57 बजे से शुरू होकर ग्रहण के समापन तक रहेगा। इस दौरान तुलसी के पत्ते तोड़ने जैसी गतिविधियों से भी परहेज करना चाहिए। उत्तराखंड विद्वत सभा के पूर्व अध्यक्ष विजेंद्र प्रसाद ममगाईं ने बताया कि चंद्रग्रहण से लगभग नौ घंटे पहले ही सूतक काल लागू हो जाता है। आचार्य डॉ. सुशांत राज ने बताया कि ग्रहण रात 9:57 बजे शुरू होकर रात 1:26 बजे तक रहेगा और यह पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। भारत में इसे देखा जा सकेगा इसलिए सूतक काल भी मान्य होगा।
साथ ही, इस दिन से पितृ पक्ष भी आरंभ हो जाएगा। पितृ पक्ष में पितरों के तर्पण, पिंडदान, दान और श्राद्ध किए जाते हैं। श्राद्ध के दौरान पितरों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद के लिए विशेष विधियां की जाती हैं। विद्वानों ने बताया कि सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी रखनी चाहिए, क्योंकि यह काल शास्त्रों के अनुसार संवेदनशील माना जाता है।
इस अवसर पर मंदिरों के अलावा घरों में भी पूजा के नियमों का पालन करने की सलाह दी गई है। इस दौरान कोई भी धार्मिक अनुष्ठान ग्रहण पूर्ण होने तक स्थगित करना चाहिए। चंद्रग्रहण और पितृ पक्ष के इन महत्वपूर्ण दिनों में लोगों को सावधानीपूर्वक धार्मिक नियमों का पालन करते हुए अपने कर्तव्यों और श्रद्धा का निर्वाह करना चाहिए।
कुल मिलाकर उत्तराखंड में रविवार का दिन धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के साथ ही लोगों के लिए सावधानी और आस्था का संदेश लेकर आया है। ग्रहण और पितृ पक्ष के दौरान नियमों का पालन करने से शांति और समृद्धि की कामना की जाती है।