
उत्तराखंड की राजनीति एक बार फिर विवादों में है। नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव का मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। याचिकाकर्ता ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि मतगणना के दौरान नियमों की अनदेखी की गई और एक वोट को जानबूझकर बदला गया।
आरोप है कि देर रात काउंटिंग के समय कैमरे बंद कर दिए गए और उसी दौरान एक मतपत्र पर ओवरराइटिंग कर परिणाम को प्रभावित किया गया। इस पूरे मामले की फॉरेंसिक जांच की मांग की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यदि सही जांच हो, तो सच्चाई सामने आ सकती है।
सिर्फ यही नहीं, आरोपियों ने यह भी दलील दी है कि जिस उम्मीदवार को विजयी घोषित किया गया, उसे शपथ दिलाने से पहले मामले की जांच होनी चाहिए। हाईकोर्ट में इस पर प्रारंभिक सुनवाई हुई, जिसमें अदालत ने फिलहाल चुनाव आयोग के समक्ष जाने की सलाह दी है। हालांकि मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने कहा कि यदि संतोषजनक समाधान नहीं मिलता, तो याचिका पर दोबारा विचार किया जा सकता है।
इस घटनाक्रम के बाद नैनीताल की राजनीति में हलचल बढ़ गई है। विपक्षी दलों ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया और कहा कि प्रशासन की मिलीभगत से चुनाव परिणाम बदले गए। दूसरी ओर, सत्ताधारी दल ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि हार की हताशा में विपक्ष न्यायालय का सहारा ले रहा है।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह मामला केवल एक सीट का विवाद नहीं है, बल्कि पंचायत स्तर पर पारदर्शिता और लोकतांत्रिक व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है। यदि ओवरराइटिंग और कैमरा बंद करने जैसी बातें सही साबित होती हैं, तो यह चुनावी प्रक्रिया के लिए बड़ा झटका होगा।