
उत्तराखंड: नैनीताल हाईकोर्ट ने ऊधमसिंह नगर जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव परिणामों पर रोक लगा दी है। यह निर्णय राज्य सरकार द्वारा जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण नियमावली का पालन न करने की याचिका पर सुनवाई के दौरान लिया गया। अदालत ने कहा कि ऊधमसिंह नगर जिले का चुनाव परिणाम याचिका के निर्णय के अधीन रहेगा।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेन्दर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। ऊधमसिंह नगर के जिला पंचायत अध्यक्ष पद के उम्मीदवार जीतेंद्र शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2011 की जनगणना के आधार पर कराए हैं। तब से कई जिलों में जनसंख्या का अनुपात बदल गया है। वर्तमान समय में प्रदेश में ओबीसी की सबसे अधिक जनसंख्या हरिद्वार में है, उत्तरकाशी दूसरे स्थान पर, ऊधमसिंह नगर तीसरे और देहरादून चौथे स्थान पर है।
याचिका में कहा गया कि यदि सरकार आरक्षण को वर्तमान जनसंख्या अनुपात के अनुरूप तय करती तो हरिद्वार और उत्तरकाशी को आरक्षण मिलना चाहिए था। हालांकि सरकार ने 13 जिलों के आरक्षण का आंकलन किया, लेकिन हरिद्वार में चुनाव नहीं कराए। याचिका में यह भी कहा गया कि ओबीसी की उच्च जनसंख्या वाले जिलों में चुनाव नहीं कराए गए, जबकि कम जनसंख्या वाले जिलों में आरक्षण नियमों को ताक में रखकर सीटें निर्धारित की गईं।
न्यायालय ने 27 अगस्त को सुनवाई की अगली तिथि निर्धारित की है। इस बीच चुनाव की पूरी प्रक्रिया जारी रहेगी, लेकिन परिणाम घोषित नहीं होंगे। याचिका में यह भी मांग की गई है कि आरक्षण नियमों के अनुसार ही सीटें निर्धारित की जाएं, न कि 2011 की जनगणना के आधार पर।इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि उत्तराखंड में पंचायत चुनावों में आरक्षण और जनसंख्या अनुपात को लेकर कानूनी चुनौतियां जारी हैं। सभी पक्षों की निगाहें हाईकोर्ट के अगले आदेश पर टिकी हैं।