
उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र में 5 अगस्त को आई भीषण बादल फटने की आपदा को एक सप्ताह से अधिक का समय बीत गया है। इस आपदा ने इलाके में तबाही मचा दी है, जहां मलबे में दबे लोगों की तलाश जारी है। प्रशासन ने अब तक 42 लोगों के लापता होने की पुष्टि की है। सेना, ITBP, NDRF और SDRF की टीमें लगातार मलबे में खोदाई कर रही हैं ताकि लापता लोगों को ढूंढा जा सके। हालांकि, तेज बारिश और खराब मौसम राहत कार्यों में बड़ी बाधा बन रहे हैं।
धराली बाजार समेत आसपास के कई गांव मलबे में दब गए हैं। स्थानीय निवासी जय भगवान पंवार ने बताया कि उनका होटल, घर और सेब के बगीचे इस आपदा में पूरी तरह तबाह हो गए। उत्तरकाशी जिले में सेब, प्लम और खुबानी के करीब 70 फीसदी बगीचे नष्ट हो गए हैं। उद्यान विभाग की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 10,480 हेक्टेयर बगीचों में से 7,500 हेक्टेयर का नुकसान अकेले उत्तरकाशी जिले में हुआ है।
दूसरी ओर, हर्षिल घाटी में तेलगाड नदी के उफान से भागीरथी नदी में एक किलोमीटर लंबी झील बन गई है, जो खतरा बन गई है। अधिकारियों और सेना ने जेसीबी की मदद से इस झील का मुहाना खोलने का प्रयास किया, लेकिन मशीन नदी में डूब गई। सेना के जवान ने सही समय पर कूदकर अपनी जान बचा ली। वन विभाग और SDRF ने पेड़ों को काटकर झील खोलने की कोशिश जारी रखी है। इस बीच, बारिश के कारण जलस्तर में उतार-चढ़ाव बना हुआ है, और झील के किनारे बसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है।
प्रशासन ने लगातार मौसम की नज़र रखी है और राहत कार्यों को तेज करने के लिए सभी संसाधनों का उपयोग कर रहा है। स्थानीय लोग भी एक-दूसरे का सहारा बनकर संकट की इस घड़ी में मजबूती दिखा रहे हैं। इस विपदा से उबरने के लिए लंबी लड़ाई जारी है, लेकिन उम्मीद अभी भी बनी हुई है कि लापता लोगों को जल्द सुरक्षित निकाला जाएगा।