
उत्तरकाशी के धराली गांव में बादल फटने की घटना ने दर्जनों परिवारों को गहरे संकट में डाल दिया है। तबाही के इस मंजर में जहां कई लोग लापता हैं, वहीं अनेक परिवारों के घर उजड़ चुके हैं। भारी बारिश और अचानक आई बाढ़ ने इलाके को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है।
उत्तराखंड सरकार ने राहत एवं बचाव कार्यों को युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया और हालात का जायज़ा लिया। मुख्यमंत्री ने धराली पहुंचकर आपदा में अपनों को खो चुके परिजनों से भेंट की और उन्हें हरसंभव सहायता का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि, “यह समय बेहद कठिन है। हमने कई परिवारों को अपार दुःख में देखा है। हम उनकी पीड़ा को समझते हैं और सरकार पूरी तरह से उनके साथ खड़ी है।”
प्रभावित क्षेत्र में सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी और स्थानीय प्रशासन की टीमें लगातार राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हैं। ‘बीच गांव’ में फंसे करीब 200 लोगों को निकालने के लिए वैकल्पिक रास्तों और अस्थायी पुलों का निर्माण किया जा रहा है। प्रशासन की प्राथमिकता हर लापता व्यक्ति की तलाश और पीड़ितों तक सहायता पहुंचाने की है।
सरकार ने देहरादून में विशेष कंट्रोल रूम स्थापित किया है, जहां से राहत कार्यों की 24 घंटे निगरानी की जा रही है। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्थिति से अवगत कराया गया है और केंद्र सरकार से हरसंभव सहयोग मिल रहा है। इस आपदा ने एक बार फिर उत्तरकाशी की संवेदनशीलता को उजागर किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि भौगोलिक परिस्थितियों और जलवायु परिवर्तन के चलते इस क्षेत्र में आपदाएं बार-बार आ रही हैं। आवश्यकता इस बात की है कि दीर्घकालिक रणनीति के तहत स्थायी समाधान निकाले जाएं ताकि हर साल दोहराया जाने वाला यह दुःख रोका जा सके।