
हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर मार्ग पर रविवार सुबह भगदड़ की दर्दनाक घटना के बाद व्यवस्थाओं पर कई गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। हादसे में आठ श्रद्धालुओं की मौत हो गई जबकि 22 घायल हुए, जिनमें पांच की हालत गंभीर बताई गई है।
मंदिर के सीढ़ी मार्ग पर सैकड़ों अवैध अस्थायी दुकानें लगी थीं जो आपात स्थिति में राहत का रास्ता पूरी तरह अवरुद्ध कर रही थीं। हादसे के तुरंत बाद कई दुकानदार अपना सामान समेटकर भाग खड़े हुए। कुछ ने माल को प्लास्टिक के बोरों में भरकर पहाड़ी के पीछे छिपा दिया।
खास बात यह रही कि मौके पर बिजली का एक तार भी मौजूद था, जो हादसे के बाद अचानक गायब हो गया। यह तार घटना के कारणों में शामिल हो सकता है, लेकिन अब यह ‘राज’ बन गया है। स्थानीय सूत्रों की मानें तो यह पूरा क्षेत्र राजाजी टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है, जहां किसी भी तरह की वाणिज्यिक गतिविधियां प्रतिबंधित हैं। इसके बावजूद वर्षों से यहां दुकानें लग रही हैं।
यह भी सामने आया है कि इन अवैध दुकानों के संचालन के पीछे एक कथित ‘साठगांठ’ का जाल फैला है, जिसमें मोटी रकम अधिकारियों और कर्मचारियों तक पहुंचती रही है। इसी कारण अवैध गतिविधियों को लगातार नजरअंदाज किया गया। श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच ऐसी लापरवाहियां न सिर्फ आपदा को न्योता देती हैं, बल्कि प्रशासनिक तंत्र पर भी गहरे सवाल खड़े करती हैं। हादसे के बाद उठे ये सवाल अब जांच और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।