
14 मई को फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, देशभर में कुल 158 फायर अलर्ट जारी किए गए, जिनमें से सबसे अधिक 44 अलर्ट उत्तराखंड से प्राप्त हुए हैं। यह दर्शाता है कि उत्तराखंड इन दिनों जंगल की आग की घटनाओं से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है। इसके बाद उत्तर प्रदेश से 24, मध्य प्रदेश से 21, ओडिशा से 15, और जम्मू-कश्मीर से 8 फायर अलर्ट दर्ज किए गए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ते तापमान और कम नमी के कारण जंगलों में आग लगने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। गुरुवार को उत्तराखंड में जंगल की आग की दो घटनाएं रिपोर्ट की गईं, जो दोनों वन्यजीव क्षेत्रों में हुईं। इन घटनाओं में लगभग 1.75 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली वन संपदा को नुकसान पहुंचा है। जंगल की आग न केवल पर्यावरण के लिए खतरनाक है, बल्कि वन्यजीवों के अस्तित्व और पारिस्थितिकी तंत्र को भी गहरा आघात पहुंचाती है।
वन विभाग द्वारा इन घटनाओं पर नियंत्रण पाने के लिए प्रयास जारी हैं। स्थानीय वन अधिकारियों और कर्मचारियों को अलर्ट पर रखा गया है, और निगरानी बढ़ा दी गई है। इसके साथ ही, ग्रामीणों को भी जागरूक किया जा रहा है कि वे आग की किसी भी घटना की सूचना तुरंत संबंधित अधिकारियों को दें।
पेय पदार्थों की गुणवत्ता पर FDA का एक्शन मोड
गर्मियों में पेय पदार्थों की खपत तेजी से बढ़ जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए **फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA)** ने पैक्ड पेय पदार्थों की गुणवत्ता पर सख्ती बरतने के निर्देश जारी किए हैं। दिशा-निर्देशों के अनुसार, खराब या निर्धारित मानकों से नीचे की गुणवत्ता वाले पेय उत्पादों पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी।
FDA ने सभी खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे **पेय उत्पादों की नियमित जांच** करें और यह सुनिश्चित करें कि बाजार में बिक रहे उत्पाद उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हों। किसी भी तरह की मिलावट, एक्सपायरी डेट में हेराफेरी या मानकों से नीचे की गुणवत्ता पाए जाने पर संबंधित कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इन दोनों घटनाओं से यह स्पष्ट है कि जहां एक ओर प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना अनिवार्य है, वहीं दूसरी ओर उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना भी सरकार की प्राथमिकता में शामिल है।