
देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत की बहुचर्चित ‘गंगा सम्मान यात्रा’ का पहला चरण संपन्न हो गया है। यह यात्रा उत्तरकाशी के मुखबा गांव से शुरू होकर ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट तक पहुंची, जहां हरीश रावत ने गंगा पूजन और आरती कर समापन किया। इस मौके पर कई कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता भी मौजूद रहे। यात्रा का उद्देश्य गंगा की पवित्रता की रक्षा के साथ-साथ बीजेपी सरकार की “जनविरोधी नीतियों” के खिलाफ आवाज उठाना बताया गया।
हरीश रावत ने इस यात्रा को कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एकजुट करने का माध्यम बताया और कहा कि यह यात्रा प्रदेश में बदलाव की शुरुआत है। उन्होंने गंगा के नाम पर विकास के नाम पर हो रहे कथित “धार्मिक और पर्यावरणीय खिलवाड़” पर सवाल उठाए।
हालांकि, रावत की इस पहल पर सियासी तकरार भी तेज हो गई है। बीजेपी के विधायक महंत दिलीप रावत ने इस यात्रा को एक “धार्मिक प्रचार” करार दिया और कहा कि कांग्रेस नेता धर्म का सहारा लेकर राजनीति चमकाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह यात्रा केवल 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी का हिस्सा है।
वहीं, हरीश रावत ने भी पलटवार करने में देर नहीं लगाई। उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट में बीजेपी में शामिल हो चुके अपने पुराने सहयोगियों को आड़े हाथों लेते हुए उन्हें ‘जोंक’ तक कह दिया। रावत ने लिखा, “मैं यात्रा पर क्या निकला, मेरे कई पुराने कट्टर दोस्तों को भी काम मिल गया। बीजेपी में उनकी स्थिति वैसी ही हो गई थी जैसे ठंडी जगहों पर बारिश से पहले जोंक लपलपाते हुए कमजोर नजर आते हैं।”