
उत्तराखंड में शिक्षा व्यवस्था में संकट गहरा गया है, जहां राज्य के 23 माध्यमिक विद्यालय पहले ही बंद हो चुके हैं और तीन हजार से अधिक प्राथमिक विद्यालय बंदी की कगार पर हैं। इस समस्या के प्रमुख कारणों में शिक्षक की कमी, छात्रों की गिरती संख्या, और वित्तीय संकट शामिल हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में विशेष रूप से विद्यालयों की बंदी का असर अधिक देखने को मिल रहा है, जहां बच्चों के लिए शिक्षा प्राप्त करना अब और कठिन होता जा रहा है।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, राज्य के ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में विद्यालयों की संख्या कम हो रही है, जबकि छात्र संख्या में लगातार गिरावट देखी जा रही है। यह समस्या विशेष रूप से उन विद्यालयों में देखने को मिल रही है, जहां छात्रों की संख्या 50 से भी कम रह गई है। इस कारण कई विद्यालयों को शहरी क्षेत्रों में स्थित स्कूलों में विलय करने की योजना बनाई जा रही है।
प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों की कमी और शिक्षक की नियुक्ति में देरी के कारण स्कूलों की हालत और भी खराब हो गई है। राज्य सरकार ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है, लेकिन अभी तक इस मुद्दे का स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो शिक्षा का स्तर और भी गिर सकता है, जिससे बच्चों का भविष्य प्रभावित होगा।
राज्य सरकार ने वित्तीय और प्रशासनिक उपायों की बात की है, लेकिन इस दिशा में अपेक्षित सुधार नजर नहीं आ रहे हैं। शिक्षा विभाग की टीम ने यह भी कहा है कि यदि इस समस्या का समाधान जल्द नहीं निकाला गया, तो लाखों बच्चों का भविष्य अंधेरे में डूब सकता है।