हल्द्वानी के बनभूलपुरा हिंसा के मुख्य आरोपी और साजिशकर्ता अब्दुल मलिक की जमानत प्रार्थना पत्र पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने अब्दुल मलिक को कोई राहत नहीं दी है. अब मामले में अगली सुनवाई के लिए 16 दिसंबर की तिथि नियत की है।
सरकार ने पेश की आपत्तियां: पूर्व के आदेश पर आज यानी 28 नवंबर को राज्य सरकार ने अब्दुल मलिक की जमानत प्रार्थना पत्रों पर आपत्तियां पेश की. आपत्ति में कहा गया कि अब्दुल मलिक हल्द्वानी हिंसा के मुख्य आरोपी और साजिशकर्ता है। जिसकी वजह से हिंसा भड़की और कई लोगों ने अपनी जान तक गंवाई. आरोपी के ऊपर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है, उसका जवाब भी कोर्ट में पेश कर दिया गया है. जिस पर खंडपीठ अब आगामी 16 दिसंबर को सुनवाई करेगा।
8 फरवरी 2024 भड़की थी हिंसा: दरअसल, इस साल 8 फरवरी को हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में सरकारी भूमि पर अवैध नमाज स्थल और मदरसा (अतिक्रमण) हटाने के दौरान हिंसा भड़क गई थी. हिंसा के दौरान आगजनी के साथ जमकर पथराव हुआ था। इतना ही नहीं फायरिंग भी हुई थी. जिसके चलते पुलिसकर्मी समेत अधिकारी और पत्रकार घायल हो गए थे। जबकि, कुछ हिंसा के दौरान लोगों की मौत हो गई थी। इस दौरान सरकारी और निजी संपत्तियों को काफी नुकसान पहुंचा था।
अब्दुल मलिक ने बेवजह फंसाने की कही बात: वहीं, मामले में पुलिस ने 100 से ज्यादा उपद्रवियों को गिरफ्तार किया था. जिसमें मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक भी शामिल था। आज अब्दुल मलिक की ओर से कोर्ट में जमानत प्रार्थना पत्र पेश कर कहा गया है कि जिस दिन यह घटना हुई, उस दिन वो वहां पर नहीं था और दिल्ली में था। उन्हें बेवजह फंसाकर उसके ऊपर हिंसा भड़काने और उपद्रवियों का साथ देने का झूठा मुकदमा दर्ज किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने की पैरवी: अब्दुल मलिक का कहना था कि जब उसने अपराध किया ही नहीं तो झूठा मुकदमा किस आधार पर दर्ज किया गया। इसलिए उन्हें जमानत दी जाए. हिंसा में शामिल 50 से ज्यादा उपद्रवियों को कोर्ट जमानत दे चुकी है।
उन्हें भी एकलपीठ से अतिक्रमण के मामले में जमानत मिल चुकी है, लेकिन कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद अब्दुल मलिक को कोई राहत नहीं दी और अगली सुनवाई 16 दिसंबर की तिथि नियत की। आज अब्दुल मलिक की जमानत प्रार्थना पत्र की पैरवी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने की।