धार्मिक दृष्टिकोण से भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से धर्मनगरी हरिद्वार का नाम भी आता है, यहां देवी-देवताओं के प्राचीन और पौराणिक स्थल हैं जिनका वर्णन कई धार्मिक ग्रंथो में किया गया है वहीं हिंदू धर्म में विवाह संस्कार एक पवित्र बंधन माना गया है, विवाह करने से विश्वास और धार्मिक आस्था बनी रहती है, विवाह 16 संस्कार में से सबसे पवित्र संस्कार माना गया है।
हरिद्वार में बहुत से पौराणिक स्थान ऐसे हैं जहां पर विवाह करने पर यह बंधन अटूट होता है, कहा जाता है की इन पौराणिक और प्राचीन स्थलों पर विवाह करने से सात जन्मों का बंधन बंध जाता है और दांपत्य जीवन में आने वाली सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं।
ये स्थल हैं प्रसिद्ध
हरिद्वार में किन धार्मिक स्थलों पर विवाह करने से बंधन अटूट और सात जन्मों का होता है धर्म नगरी हरिद्वार में विवाह करने के लिए बहुत से ऐसे पौराणिक स्थान हैं जहां पर शादी करने से सात जन्मों का बंधन बंध जाता है, हिंदू रीति रिवाज और वैदिक मंत्रों उच्चारण के साथ इन पौराणिक सिद्ध पीठ मंदिरों में पाणिग्रहण संस्कार करने पर दांपत्य जीवन में कोई भी बाधा या परेशानी नहीं आती है।
हरिद्वार में भगवान शिव की ससुराल है साथ ही भगवान शिव के प्राचीन सिद्ध पीठ स्थल हैं जिनका वर्णन ‘शिव महापुराण’ में किया गया है, भगवान शिव के इन पौराणिक और सिद्ध पीठ मंदिरों में विवाह करने से भगवान शिव की विशेष कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है, यहां आप इन स्थलों की सूची देख सकते हैं।
इन मंदिरों में विवाह करने का धार्मिक महत्व
दक्षेश्वर महादेव मंदिर- हरिद्वार की उपनगरी कनखल में भगवान शिव की ससुराल है जहां पर दक्षेश्वर महादेव मंदिर है, पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव की पहली पत्नी माता सती का जन्म इसी स्थान पर हुआ था, यहां शादी विवाह करने का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि इस स्थान पर किया गया विवाह सात जन्मों का बंधन होता है और भगवान शिव माता सती की विशेष कृपा उस जोड़े को प्राप्त होती है।
बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर- हरिद्वार में बिल्व पर्वत पर बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर है, यह मंदिर माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है, धार्मिक मान्यता के अनुसार इस मंदिर में गौरीकुंड के जल का आचमन करने मात्र से शरीर में उत्पन्न रोग खत्म हो जाते हैं और जिनकी शादी नहीं होती उनकी शादी भी हो जाती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी स्थान पर माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हजारों साल तक तपस्या की थी, इस स्थान पर किया गया विवाह अटूट होता है, यहां भी वैदिक मंत्रों उच्चारण के साथ पवित्र पाणिग्रहण संस्कार किया जाता है, भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा उन पर बनी रहती है।
भोलेनाथ के पौराणिक मंदिर- हरिद्वार में भगवान शिव के पौराणिक सिद्ध पीठ स्थल हैं जिनका वर्णन धार्मिक ग्रंथ शिव महापुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथो में किया गया है, हरिद्वार नजीबाबाद रोड पर स्थित भोलेनाथ के कुंडी सोटेश्वर महादेव मंदिर, नीलेश्वर महादेव मंदिर और गौरी शंकर महादेव मंदिर शिवालिक की पहाड़ियों पर स्थित हैं।
धार्मिक मान्यता है कि इन स्थानों पर विवाह करने से सात जन्मों का बंधन भगवान शिव की कृपा से बंध जाता हैं. इन स्थानों पर हिंदू रीति रिवाज से पाणिग्रहण संस्कार किया जाता है, दांपत्य जीवन में आने वाली सभी समस्याएं, दुख भोलेनाथ की कृपा से खत्म हो जाते हैं।
माता के सिद्ध पीठ स्थल- धर्म नगरी हरिद्वार में गंगा के पूर्व में नील पर्वत पर सिद्ध पीठ चंडी देवी मंदिर और गंगा के पश्चिम में बिल्व पर्वत पर सिद्ध पीठ मनसा देवी मंदिर में पाणिग्रहण संस्कार करने का विशेष महत्व है, चंडी देवी मंदिर नील पर्वत पर स्थित है, यहां भी शादी विवाह करने पर अटूट बंधन होता है।
चंडी देवी मंदिर के साथ ही मनसा देवी मंदिर में भी शादी विवाह करने पर दांपत्य जीवन सुखी होता है, चंडी देवी मंदिर और मनसा देवी मंदिर में भी शादी विवाह करने पर दांपत्य जीवन में कोई भी बाधा, परेशानी नहीं आती है और देवी मां की कृपा उन पर बनी रहती है।