भू-विज्ञान विभाग, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी, श्रीनगर गढ़वाल की ओर से 15-17 अक्टूबर 2024 को अकादमिक एक्टिविटी सेंटर, चौरास परिसर में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से वित्त पोषित “डी-आइस प्रोजेक्ट” कार्यशाला आयोजित की जा रही है। इस कार्यशाला में यूनिवर्सिटी ऑफ जूरिख, ग्राज़े यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, ऑस्ट्रिया, इंस्टिट्यूट ऑफ मैथमेटिकल साइंस, चेन्नई, आइज़र पुणे, आईआईटी बॉम्बे, जेआईवाईएस कोलकाता, भूगर्भ विभाग के संकाय सदस्य, भौतिकी विभाग और भूगोल विभाग के संकाय सदस्य एवं शोध छात्र प्रतिभाग कर रहे हैं।
भूगर्भ विभाग के संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर एच.सी. नैनवाल और डी-आइस प्रोजेक्ट के मुख्य अन्वेषक प्रोफेसर एम.पी.एस. बिष्ट ने विस्तार से बताया कि डी-आइस प्रोजेक्ट देश-विदेश के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर शोध कर रहा है।
प्रोफेसर एम.पी.एस. बिष्ट, भूगर्भ विभाग के विभागाध्यक्ष की ओर से स्वागत किया गया। इस कार्यशाला में प्रोफेसर आंद्रेआस वैली, डॉ. माइल्स और फ्लोरियन हार्डमिएर (यूनिवर्सिटी ऑफ जूरिख), डॉ. टोबियास बलोच (ग्राज़े यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, ऑस्ट्रिया), प्रोफेसर आर. शंकर (इंस्टिट्यूट ऑफ मैथमेटिकल साइंस, चेन्नई), प्रोफेसर अरघा बनर्जी (आइज़र पुणे), डॉ. भारत शेखर (आईआईटी बॉम्बे), डॉ. अतनु भट्टाचार्य (जेआईवाईएस कोलकाता) और गढ़वाल यूनिवर्सिटी से भूगर्भ विभाग के संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर एच.सी. नैनवाल, डी-आइस प्रोजेक्ट के मुख्य अन्वेषक प्रोफेसर एम.पी.एस. बिष्ट, डॉ. एम.वाई. सती (डी-आइस प्रोजेक्ट के सह-अन्वेषक और भूगर्भ विभाग के संकाय सदस्य), डॉ. आलोक सागर गौतम (डी-आइस प्रोजेक्ट के सह-अन्वेषक और भौतिकी विभाग के संकाय सदस्य), प्रोफेसर एन.के. मीणा, डॉ. अनिल शुक्ला (भूगर्भ विभाग के संकाय सदस्य), डॉ. राकेश सैनी (भूगोल विभाग के संकाय सदस्य), प्रोजेक्ट वैज्ञानिक और शोध छात्र उषेश त्रिपाठी, शुभम मिश्रा, डॉ. सुनील सिंह शाह तथा भूगर्भ विभाग के छात्र-छात्राएं प्रतिभाग कर रहे हैं।
इस कार्यशाला का उद्देश्य ग्लेशियरों पर होने वाले प्रभावों, जैसे जलवायु परिवर्तन, और उनके भीतर होने वाले देवरिस (पिघले हुए पानी, बर्फ, और अन्य सामग्री) की सांद्रता का अध्ययन करना है। इसके साथ ही, ग्लेशियर की गतिकी को समझना भी महत्वपूर्ण है, ताकि हम उनके बदलाव को बेहतर तरीके से समझ सकें।