राजधानी देहरादून में शनिवार को हिंदी दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और वन मंत्री सुबोध उनियाल मौजूद रहे। इसी बीच सीएम धामी ने तमाम भाषाओं में बेहतर प्रदर्शन करने वाले स्कूली बच्चों और साहित्यकारों को सम्मानित किया। सीएम ने कहा कि हिंदी दिवस हमारी संस्कृति, पहचान और हमारे गौरव का उत्सव है। हिंदी भाषा सिर्फ एक भाषा नहीं है, बल्कि हमारे देश की आत्मा है। हिंदी ने समाज को जोड़ने के साथ ही हमारी सभ्यता को समृद्ध किया है।
जापान और फिनलैंड में पढ़ाई जा रही हिंदी भाषा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हिंदी की कीर्ति सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में यह संवाद का एक प्रमुख जरिया बन चुकी है। आज दुनिया के जापान और फिनलैंड समेत अन्य देशों में हिंदी का अध्ययन किया जा रहा है। यही कारण है कि आज हिंदी बोलने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि सभी को संकल्प लेना चाहिए कि हम अपनी मातृभाषा हिंदी का सम्मान करें। हिंदी को 21वीं सदी में सशक्त भाषा बनाने का दायित्व सभी का है, उसके लिए जरूरी है कि अपनी मातृभाषा से इसकी शुरुआत करें।
बचपन की यादें की साझा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने बचपन की यादों को शेयर करते हुए कहा कि उनके गृह क्षेत्र खटीमा में बांग्लादेश के शरणार्थी भी रहते थे। उनके साथ खेलते हुए वो बांग्ला भाषा कब सीख गए, उन्हें पता ही नहीं चला। साथ ही कहा कि नेपाल बॉर्डर की वजह से वो नेपाल भी जाया करते थे, जिसके चलते वो नेपाली भी सीख गए।
साहित्य भूषण सम्मान योजना होगी शुरू
हिंदी का प्रचार और प्रसार हो नई पीढ़ी में यह विरासत की तरह आगे बढ़ती रहे, उसके लिए तमाम काम किए गए हैं, जिसके तहत साहित्य गौरव सम्मान योजना पहले शुरू की गई थी। ऐसे में अब साहित्य भूषण सम्मान योजना शुरू करने जा रहे हैं। इस योजना के तहत 5 लाख रुपए की धनराशि दी जाएगी। साथ ही साहित्य के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार भी दिया जाएग, ताकि साहित्य और भाषा के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को प्रोत्साहित किया जा सके।