1 सितंबर 1994 को खटीमा गोलीकांड की खबर जब मसूरी शहर वासियों को लगी तो शहीद स्थल झूला घर पर धरने पर बैठे राज्य आंदोलनकारियों को पुलिस ने जबरन वहा से उठा लिया और उन्हें बरेली जेल भेज दिया गया था। इसके बाद 2 सितंबर 1994 को सुबह यहां के लोगों की ओर से शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया जा रहा था जिसमें सैकड़ो की संख्या में महिलाएं बुजुर्ग युवा शामिल थे। प्रदर्शनकारी जैसे ही मसूरी शहीद स्थल झूला घर पर पहुंचे वहा पहले से ही तैयार पुलिस ने राज्य आंदोलनकारी पर गोलियों की बरसात कर दी महिलाओं के माथे पर संगीन लगाकर गोली मार दी गई।
पुलिस की इस निर्दय पूर्ण कार्यवाही को याद कर आज भी राज्य आंदोलनकारी सिंहर उठते हैं वह दृश्य इतना भयीनक था कि हर जगह चीख पुकार और सड़कों में बहता आंदोलनकारी का खून देखकर भगदड़ मच गई जिसमें की सात आंदोलनकारी शहीद हो गए और दर्जनों आंदोलनकारी घायल हुए थे।
राज्य आंदोलनकारी और कांग्रेस पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला बताते हैं कि राज्य आंदोलन के दौरान पुलिस बरेली जेल में 47 लोगों को लेकर गई जहां पर पुलिस की ओर से उन्हें यातनाएं दी गई जिसका दर्द आज भी महसूस होता है। राज्य आंदोलनकारी देवी गोदियाल ने बताया कि जल जंगल और जमीन की लड़ाई के लिए पृथक उत्तराखंड राज्य की मांग की गई थी लेकिन आज भी शहीदों के सपने पूरे नहीं हो पाए हैं।