प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से 78वें स्वतंत्रता दिवस समारोह का नेतृत्व किया। प्रतिष्ठित स्मारक ‘विकसित भारत 2047’ के साकार होते सपने का साक्षी बना। भव्य समारोह को देखने के लिए लगभग 6,000 विशेष अतिथियों को आमंत्रित किया गया। पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहराए और राष्ट्र को संबोधित किया। इस वर्ष के स्वतंत्रता दिवस की थीम ‘विकसित भारत 2047’ है। यह समारोह 2047 तक देश को एक विकसित राष्ट्र में बदलने की दिशा में सरकार के प्रयासों को नए सिरे से बढ़ावा देने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।
क्या बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
लाल किले की प्राचीन से PM नरेंद्र मोदी ने कहा कि, “नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों को पूरा करना भारत के 140 करोड़ लोगों का कर्तव्य है और मैं इस पर बहस चाहता हूं। जो कानून सांप्रदायिक और भेदभावपूर्ण हैं उनका कोई भी स्थान नहीं है, हमें एक धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता की आवश्यकता है।
क्या होता है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC/Uniform Civil Code) का मतलब है कि देश में रहने वाले सभी नागरिकों (हर धर्म, जाति, लिंग के लोग) के लिए एक ही कानून होना। अगर किसी भी राज्य में सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे तमाम विषयों में हर नागरिकों के लिए एक समान कानून ही होगा। संविधान के चौथे भाग में राज्य के नीति निदेशक तत्व का विस्तृत ब्यौरा भी है जिसके अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना सरकार का दायित्व है।
PM नरेंद्र मोदी ने लगातार 11वीं बार लाल किले की प्राचीर से ध्वजारोहण किया है। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से प्राकृतिक आपदा से लेकर रिफॉर्म्स और गवर्नेंस मॉडल तक, कई विषयों पर बोले है। उन्होंने आजादी से पहले जनसंख्या की चर्चा की, आजादी का जिक्र किया और 2047 तक विकसित भारत बनाने का संकल्प व्यक्त भी किया।
महिलाओं की सुरक्षा पर क्या बोले पीएम नरेंद्र मोदी
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि महिलाओं के साथ राक्षसी कृत्य करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जानी चाहिए। अपराधियों के मन में भय पैदा करने की बहुत जरूरत है। महिलाओं के साथ जब इस तरह की राक्षसी घटनाएं होती हैं तब इसकी बहुत चर्चा होती है लेकिन जब उस मामले में अपराधी को सजा सुनाई जाती है, तो कोई भी चर्चा नहीं होती। अब समय आ गया है जब सजा की भी उतनी ही चर्चा हो जिससे अपराधियों के मन में भय पैदा हो कि ऐसा अपराध करने पर कैसी सजा होती है।