
भानियावाला-ऋषिकेश मार्ग चौड़ीकरण के नाम पर करीब 3300 पेड़ों को काटने के विरोध में पेड़ों से चिपक कर महिलाओं ने उनके रक्षा का संकल्प लिया और चिपको आंदोलन 2.0 शुरू करने का एलान किया। और सभी ने विरोध प्रदशर्न कर प्रस्ताव निरस्त करने की मांग उठाई। उत्तराखंड के लोग लंबे समय से वनों की अंधाधुंध कटाई और प्राकृतिक संसाधनो के विनाश का विरोध कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि उत्तराखंड में सतत विकास को प्राथमिकता दी जाए। मौजूद लोगों ने चिपको आंदोलन की तर्ज पर पेड़ काटने का विरोध किया। मुख्य वक्ता के रूप में पर्यावरणविद् और लोक कलाकार पद्श्री डॉ माधुरी बड़थ्वाल, मैती आंदोलन के संस्थापन पद्श्री कल्याण सिंह रावत, लोकगायिका कमला देवी, जागर गायिका पद्श्री बसंती देवी, सामाजिक कार्यकर्ता इरा चौहान, पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल, सामाजिक कार्यकर्ता और जलवायु रक्षक सूरज सिंह नेगी, शोधकर्ता नितिन मलेथा समेत अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया। इस दौरान महिलाओं ने गौरा देवी के रूप में वृक्षों की रक्षा की शपथ ली, वृक्ष पूजन किया और हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया।
प्रदर्शनकारियों की मांग
- ऋषिकेश-जौलीग्रांट हाईवे परियोजना और इसके तहत 3,300 पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई जाए।
- देहरादून और इसके आसपास के पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में वनों के व्यावसायिक उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।
- देहरादून की प्रमुख नदियों (रिस्पना, बिंदाल और सौंग) को पुनर्जीवित किया जाए। इन्हें प्लास्टिक कचरे और अनुपचारित सीवेज से बचाया जाना चाहिए।
- हरे भरे स्थानों को बढ़ावा देने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएं। देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में आने वाली सभी नई आवासीय और व्यावसायिक परियोजनाओं में कम से कम 25% भूमि हरित क्षेत्र के लिए आरक्षित होनी चाहिए।